रूखा मोहब्बत के बिगड़े हैं हम | खुद ही खुद के दिल से झगडे हैं हम | ऐ सनम तुझे क्या खबर | तपते सूरज में हररोज तेरे मुड़ने के लिए तरसे हैं हम | - शशांक.
रूखा मोहब्बत के बिगड़े हैं हम | खुद ही खुद के दिल से झगडे हैं हम | ऐ सनम तुझे क्या खबर | तपते सूरज में हररोज तेरे मुड़ने के लिए तरसे हैं हम | - शशांक.
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