रूखा

रूखा

मोहब्बत के बिगड़े हैं हम |
खुद ही खुद के दिल से झगडे हैं हम |
ऐ सनम तुझे क्या खबर |
तपते सूरज में हररोज
तेरे मुड़ने के लिए तरसे हैं हम |

- शशांक.

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