तख़्त संभाला है अपने रूह मैं उन्होंने हमें मोहब्बत के तख़्त से | नवाबजादे को वक़्त, अल्फास और कर्म बहुत नजाकत से पेश करने होंगे | - शशांक.
तख़्त संभाला है अपने रूह मैं उन्होंने हमें मोहब्बत के तख़्त से | नवाबजादे को वक़्त, अल्फास और कर्म बहुत नजाकत से पेश करने होंगे | - शशांक.
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